तिश्नलब हो के समंदर नही देखे जाते (तिश्नालब= प्यासा)
फ़ासले पास में रहकर नहीं देखे जाते
इश्क मुझको हो न जाये,न उठा यूँ पर्दा
ख़्वाब आँखों में उतरकर नहीं देखे जाते
जबसे हमने है किया उनसे सवालाते वस्ल
खिड़कियाँ बंद हैं पैकर नहीं देखे जाते (पैकर= चेहरा/मुख)
बेवफा लाख ही ठहरा वो प अबभी मुझसे
उसकी राहों के ये पत्थर नहीं देखे जाते
सामना मौत से पल-पल हो अगरचे मंजूर
गैर की बांह में दिलबर नहीं देखे जाते
हर कदम जिसके लिए हमने दुआए माँगी
उसके हाथों में ही खंजर नही देखे जाते
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(C) "जान" गोरखपुरी
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