सोमवार, 16 मार्च 2015

तुमने किया छल..!





तुमने किया छल
भावविभोर विह्वल
जल-थल मन
मन जल-थल !



हर प्रतिमा में ढूंढूँ
बिम्ब तुम्हारे..
अनंतपथ में ढूंढूँ
पदचिन्ह तुम्हारे..
अहा! रहते
तुम सम्मुख सदा..
करते अभिनय नयनों में...
नयनों से ओझल!
तुमने किया छल....





सांझ-सकारे जोहूँ
मै बाट तुम्हारा..
पर सामर्थ्य कहाँ
हृदय में,प्राण में?
भर सकूँ ओज तुम्हारा..
नित्य नए पात्र का
करता मै अभिनय..

फिर भरके तुम
प्राण में अपना उद्दीपन
करते फिर तुम नयन सजल!
तुमने किया छल....



तुमने किया छल
भावविभोर विह्वल
जल-थल मन
मन जल-थल !





                     -कृष्णा मिश्रा
                  

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