मै तो बलिहारी,अमीर हो गया
इश्क़ में रब्बा फकीर हो गया
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बिन देखे ही मै तो हीर हो गया
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उसके जलवे यूँ सुने कमाल के
दिलको किस्सा उसका तीर हो गया
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शिवशिवा घट-घट मुझे पिलाओ अब
तिश्न मै वो गंग नीर हो गया
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उसको पहनूं धो सुखाऊँ रोज मै
लाज मेरी अब वो चीर हो गया
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गाऊँ कलमा मै सुनाऊँ दर-ब-दर
‘’जान’’ज्यूँ मै कोई पीर हो गया
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(c) ‘जान’ गोरखपुरी
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०२ अप्रैल २०१५
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