गुरुवार, 2 अप्रैल 2015

मै तो बलिहारी...




मै तो बलिहारी,अमीर हो गया
इश्क़ में रब्बा फकीर हो गया

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मेरे रांझे का मुझे पता नही
बिन देखे ही मै तो हीर हो गया

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उसके जलवे यूँ सुने कमाल के
दिलको किस्सा उसका तीर हो गया

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शिवशिवा घट-घट मुझे पिलाओ अब
तिश्न मै वो गंग नीर हो गया

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उसको पहनूं धो सुखाऊँ रोज मै
लाज मेरी अब वो चीर हो गया

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गाऊँ कलमा मै सुनाऊँ दर-ब-दर
‘’जान’’ज्यूँ मै कोई पीर हो गया



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          (c) ‘जान’ गोरखपुरी
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           ०२ अप्रैल २०१५

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