सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

''कश्मकश''

सुबह जगने से पहले तेरे होठों को चूमा करता हूँ
इसलिये जब भी मिलते हो मुझसे तुम शरमा से जाते हो।

कुछ तो है तेरे मेरे दरमियाँ,कुछ तो है नाता जरुर
 युँही नही तुम अक्सर मेरे ख्वाबों में आते-जाते हो।

नजरे सबकुछ कह जाती है,खामोश रहे लाख जुबाँ
सामने आते ही तुम मेरे मुस्कुराके पलकें झुकाते हो।

ये इश्क की है कशिश,मोहब्बत की बेकरारी
दूर जाने पे होते हो बेकैफ,पास आने पे घबराते हो।

दिल-ही-दिल में न रह जाये बात दिल की दिलरुबा
मोहब्बत भी करते हो और ज़माने से डर भी जाते हो।

ये वो दुनिया है जहाँ से अब तक न लौटा कोई
सोच-समझ लो,पल में नजरे मिलाते हो ,पल में चुराते हो।
                                               

                                        --‘जान’
                         ‘पुरानी डायरी के झरोखे से’
                                       मार्च 06

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