किसी दिन उतार दो नकाब
तुम्हे जी भर के देख लूँ
तुम चाँद हो...या गुलाब
तुम्हे जी भर के देख लूँ।
सुना है के..
तुम वो सवाल हो
सुना है के..
तुम वो सवाल हो
जिसका नहीं कोई जवाब
तुम्हे जी भर के देख लूँ।
सुना है के....
तुम्हे जो भी देखे देखता ही रहे
सुना है के....
तुम्हे जो भी देखे देखता ही रहे
तुम परी हो कोई या किसी शायर का ख़वाब
तुम्हे जी भर के देख लूँ।
सुना है के....
तुमसे मिलके कोई होश में नही रहता
सुना है के....
तुमसे मिलके कोई होश में नही रहता
सुना है के तुम्हारी आँखे है शराब
तुम्हे जी भर के देख लूँ।
सुना है कि..
तुम हर दर्द की दवा हो
सुना है कि..
तुम हर दर्द की दवा हो
मगर मर्ज हो लाजवाब
तुम्हे जी भर के देख लूँ।
सुना है के...
‘जान’ की जान हो तुम
सुना है के...
‘जान’ की जान हो तुम
परदे में है जरुर हीरा कोई नायाब
तुम्हे जी भर के देख लूँ।
-‘जान’ गोरखपुरी
५ फरवरी
१५
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