शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

मेरी दिलरुबा..



मेरी दिलरुबा..
आँखों से बोलने वाली..!
चुप-चुप गुप-चुप..
दिल के ताले खोलने वाली..!


तितली सी लहरा के..
फूलों सी मुस्कुरा के..
शाखों सी बलखा के
संग हवा के डोलने वाली...!
मेरी दिलरुबा..
आँखों से बोलने वाली..!


सुबह जिसके दामन में..
दोपहर गुस्सा उसका..
शाम बैठी जिसके पलकों पे..
रात जुल्फ का पहरा..
अंगडाई उसकी...
रात की नींदें तोड़ने वाली..!
मेरी दिलरुबा..
आँखों से बोलने वाली..!


रंग जिसकी अदाए हैं..
जादू जिसका रूप..
खुशबू जिस्म है जिसका..
छुई-मुई सा मेरा महबूब..
नमकीन सी बातें उसकी
शहद घोलने वाली...!
मेरी दिलरुबा..
आँखों से बोलने वाली..!
चुप-चुप गुप-चुप..
दिल के ताले खोलने वाली..!

                -जान
              अप्रैल २००९
         पुरानी डायरी के झरोखे से

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