यूँ तो मेरे बहुत रकीब हुए
पर मुझसे न दिल के उसके करीब हुए।
भला हुआ खुशनसीब हुए
दूर हुए हम क्यूँ-के थे बहूत करीब हुए।
न पूछो क्या था हुआ
हादसे बहूत अजीब हुए,
जो भी थे मुमकिन
गम वो सब मुझे नसीब हुए।
दुश्मनों से की दोस्ती
दोस्त भी रकीब हुए
यूँ तो मेरे बहुत रकीब हुए
पर मुझसे न दिल के उसके करीब हुए।
- 'जान'
'पुरानी डायरी के झरोखे से'
२२ मई 05
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