शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

''घबरा के''




जमाल-ए-यार देखा तो घबरा के पी गया
आधी रात,मै चाँदनी में नहा के पी गया...!


एक तरफ थी सनम की गली,एक तरफ था बुतकदा
समझ में न आया कुछ तो,मैखाने आ के पी गया..!


सच देख के हसीन दुनिया के किरदारों का
गोया अपनी मोहब्बत पे मै शरमा के पी गया..!


सुना है कि ये गम-ए-दुनिया का इलाज है..
भरम को इस, मै अपना के पी गया..!


एक दिन वो मुझे समझाता रहा बहुत
फिर प्यार से मै उसे समझा के पी गया..!


दर्द किसीका कोई जाने क्या?खुदको वो हमदर्द था कह रहा
बात पे उसकी........ मै मुस्कुरा के पी गया..!


                                                          -जान
                                                   १३ फरवरी २०१५

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