शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

'ख़त'



बेखुदी-ए-शराब और बात है..
बेखुदी-ए-शबाब हो तो और बात हो
ख़त आया है तुम्हारा..और बात है
तुम आओ.....तो और बात हो!



ख़त भी क्या बोलते हैं??
इस तरह हो बात..
तो और बात है..

पहलू में तुम्हारी बैठकर जो हो बात
तो और बात हो..!



न वो हया...ना वो हँसी
न वो अंदाज..न वो दिलकशी
लब्ज है जरुर तुम्हारे आफ़रीं
पर तुम्हारी आवाज की है अलग मैकशी
यूँ जो हो हालेदिल बयां और बात है
लबों से जो हो अन्दाज बयां तो और बात हो..!



बरसात आई है..
पिछली बरसात की याद लायी है
एक दूसरे की बांहों में भीगते दोनों
और भीगता तन-मन
यादें है..
बरसात है..
और बात है..
तुम हो...मै हूँ...बरसात हो
और बात हो..!



             -जान

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