बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

''इन्द्रलोक की सैर''


 

आज सुबह-सुबह
इन्द्रलोक की सैर
करने का मन हुआ,
तो कलम उठाई,
कल्पनाओं का पेट्रोल डाला,
और मन के घोड़ों का एक्सीलेटर दबाया
और पहुँच गए इन्द्रलोक।

सामने देखा तो इन्द्रासन खाली था,
चारो और नजर दौड़ाई
ये क्या?पूरी राजसभा खाली!
बाहार आकर मैंने
 इन्द्रलोक के गेटकीपर से पुछा-
'सब देवतागण कहाँ है'?
तो उसने उलटे ही सवाल दाग दिया,
'तुम अन्दर कैसे घुसे'?
 तुम्हे मैंने अन्दर जाते हुए तो नही देखा...!!
तो मैंने उसे अपना
आल यूनिवर्स परमिट वाला कार्ड दिखाया
ओह कवि ‘’महोदय जी’’
जी पूछिए क्या पूछ रहे थे आप?
मैंने अपना प्रश्न दोहराया
तो उसने बताया कि,
सभी देवतागण फील्डवर्क पे गए है।
यह सुनते ही मेरा मन उदास हो गया,
मैंने कहा यार मुझे सभी से मिलना था।
तो वह बोला,अरे तो इसमें क्या है?
‘’जहाँ न पहुंचे रवि
वहाँ पहुंचे कवि’’
जैसे यहाँ आये है वैसे ही
सभी के पास चले जाइये!!
अरे हाँ! मै तो भूल ही गया था
शुक्रिया!!...।
सबसे पहले मै पवनदेव के पास गया
प्रणाम वायुदेव !
आओ वत्स! कैसे इधर आना हुआ?
कुछ नही बस यूँ ही आपसे मिलने आ गया,
सोचा आशीर्वाद लेता चलूँ...
‘’आशीर्वाद तो मेरा सदा से ही
 प्राणवायु के रूप में
 पृथ्वीवासियों के साथ रहा है’’
पर जिस प्रकार से
तुम लोगो ने फिजा में जहर
उगला है,उससे मेरा मन व्यथित है,
जहर तो तुम लोगो ने उड़ेला है,
पर उसका परिणाम,
पूरे लोक के जीव-जन्तुओं के
साथ-साथ मेरी भुजाओं
को भी उठाना पड़ रहा है
आपकी भुजाए? प्रभु मै समझा नही?
हा मेरी भुजाए ये पेड़-पौधे,
इनको अतरिक्त भार उठाना पड़ रहा है
और तुम मुर्ख इन्हें ही काटने पे आमादा हो
और वायु-देव क्रोधित हो उठे,
तुम लोगो ने तो अब सारी हदें पार कर दी हैं
‘’ध्यान रहे जब तक ‘’अमेजन’’
धरती का फेफड़ा साँस ले रहा है तब तक
ही भूवासी मेरे क्रोध से बचे है?
 अन्यथा??................
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उपयुक्त मौका देखकर मैंने वहाँ
से निकलना ही बेहतर समझा
प्लान तो मेरा सभी देवताओं से मिलने का था
पर वायु देवता की बातें सुनकर,
मेरे मन में प्रश्न उठने लगे
कि किस मुह से किसी से मिलूं?
जल,भूमि,अन्तरिक्ष हर जगह तो
मनुष्य ने प्रदुषण का जहर भर दिया है..
कहीं ऐसा न हो कोई
कुपित होकर मुझे भस्म ही कर दे..
यहाँ से तो खिसक लेना ही बेहतर है
तभी मेरे कानो में हनी सिंह के
गाने ‘’आज है पानी-सानी’’ की आवाज़ पड़ी
देखा तो इन्द्रदेव,
मेनका और रम्भा का नृत्य देख रहे थे!
और टीवी की शोर से मेरी आँख खुल गयी...!!
उठकर सोचा ‘’चाहे कुछ भी हो अगर मनुष्य ने
प्रदुषण पे नियंत्रण नही लगाया
तो ब्रम्हांड की कोई भी ताकत उसका
विनाश होने से नही रोक पायेगी।

                      -कृष्णा मिश्रा
                      ११ फ़रवरी २०१५







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