मेरी दुनिया रहने दो अपनी ख़्वाब आँखें
दो जहाँ हैं मेरी ये दो गुलाब आँखें (गुलाब आँखें= महकती आँखें)
अब तू सम्हल जिंदगी होश खो चुके हम
है मिला दी आंखों उसने शराब आँखें
ढूंढ लेंगे हम.....रहो पास तुम बैठे
सब सवालों का देती हैं जव़ाब आँखें
मेरी मोहब्बत इबादत है हर नफ़स में
रखती हो तुम तो मेरा सब हिसाब आँखें
तुम पलक के मस्त पन्ने उलटते जाओ
पढ़ रहा हूँ 'जान' तेरी किताब आँखें
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(c) ‘जान’ गोरखपुरी
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२७ मार्च २०१५
दो जहाँ हैं मेरी ये दो गुलाब आँखें (गुलाब आँखें= महकती आँखें)

है मिला दी आंखों उसने शराब आँखें
ढूंढ लेंगे हम.....रहो पास तुम बैठे
सब सवालों का देती हैं जव़ाब आँखें
मेरी मोहब्बत इबादत है हर नफ़स में
रखती हो तुम तो मेरा सब हिसाब आँखें
तुम पलक के मस्त पन्ने उलटते जाओ
पढ़ रहा हूँ 'जान' तेरी किताब आँखें
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(c) ‘जान’ गोरखपुरी
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२७ मार्च २०१५
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