रविवार, 8 फ़रवरी 2015

''इस इश्क कमीने में''


इस इश्क कमीने में कुछ काम न आना है
वही बेकैफ बेखुदी है,वही तन्हाई का आलम पुराना है।

इश्क में हम है?कि इश्क है हम में,
कल कुछ उलझे थे,आज कुछ सुलझाना है।

परदे में मोहब्बत के वही काफ़िर पुराना है....
दिल दीवाना था, दिल दीवाना है।

मुझे मेरी ही तहरीर की मिलती है सजाएं
अपने ही हाथो खुद को मिटाना है।

इस इन्तजार कि बेकरारी न पूछिए..
तुम न आये थे, तुमको न आना है।

पत्थरों को कब तक पूजा करें जान
खैर दिल बहलाने का अच्छा बहाना है।



                               -जान
                                                       

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