गुरुवार, 19 फ़रवरी 2015

''अभिनय''






अभिनय भरी इस दुनिया में
पाने के लिए प्रिय वो हृदय
करना पड़ता है अभिनय..
करना ही होगा अभिनय।



दुनियाँ का नियम ये तय
जितना अच्छा जिसका अभिनय
उतना विस्तृत उसका संचय
करना पड़ता है अभिनय..
करना ही होगा अभिनय।



भाव-भंगिमाओं के अपने ताने-बाने
भेद न इनका कोई जाने
हृदय की जाने केवल हृदय
इस दुनियाँ का नियम ये तय
करना पड़ता है अभिनय..
करना ही होगा अभिनय।




जब भी मै अभिनय करने जाऊ
भेद सब खुल ही जाये..
शब्द न मिले,भावहीन खुद को मै पाऊ
अंतर्मन को चुनूँ?
या किरदार नया निभाऊ?
पर तो,इस दुनिया का नियम ये तय
करना पड़ता है अभिनय..
करना ही होगा अभिनय।



रह न जाये उन्माद,दुःख-सुख भय
मै भी तब रहे न मै
होता है जब सत्य का उदय
हे निर्विकार !  हे निर्भय !
हर लो अपने,मेरे सारे अभिनय..!!
हे निर्विकार !  हे निर्भय !
हर लो अपने,मेरे सारे अभिनय..!!



                                                  -कृष्णा मिश्रा















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