हाँ ये हसीन काम हमने ही किया
खुद को तो तमाम हमने ही किया
आगाजे-बरबादी तेरा थी करम
अंजाम इंसराम हमने ही किया (इंसराम = व्यवस्था)
रोज ये कहना कि न आयेंगे पर
कू पे तेरी शाम हमने ही किया (कू= गली/दर)
हुस्न पे यूँ सनम न हो तू बदगुमां
जहाँ में तेरा नाम हमने ही किया
हर सुबह न मुँह को लगायेंगे कभी
और शाम-इंतजाम हमने ही किया
कौन गुजरता वरना ’जान’ यां से
इन मिसाल को गाम हमने ही किया
किसकी थी मजाल तंज जो करता
खुद को ‘जान’ निलाम हमने ही किया
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(c) जान गोरखपुरी
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१९ अप्रैल २०१५
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