तोड़ के दुनिया के सब बंधन
अर्पित करूँगा जब मै प्राण-मन
छोड़ के व्यर्थ के सब ही श्रृंगार
पहनूँगा मै केवल तुम्हारे नाम का हार
तब तुम
आओगे ना
तब तुम
आओगे ना..!
जीवन रूपी इस-मरघट में
आकाश भरा कभी तुमने झोली में
भेज दिया कभी मुझको तलछट में
अबके आऊँगा उतार सब ऋण उधार
तब तुम
आओगे ना
तब तुम
आओगे ना..!
भय-दुःख-आनन्द सभी से होकर उन्मुख
मिलन विरह की छोड़ के
सेज
केवल तुम्हारी ओर करके मुख
जोडूंगा जब ह्रदय के तार से तार
तब तुम
आओगे ना
तब तुम
आओगे ना..!
गीतों को अपने देकर निर्वाण
लूँगा अब मै मौन साथ
गायेंगे जब केवल मेरे प्राण
गीत तुम्हारे हे मनहार!
तब
तुम आओगे ना
तब तुम
आओगे ना..!
खेल तुम्हारे खेले बहुतेरे
हारा केवल, केवल मै हारा
फिर भी रहे तुम ह्रदय के चितेरे
अबके जाऊंगा जब मै इस तन को हार
अबके जाऊंगा जब मै इस तन को हार
तब तुम
आओगे ना
तब तुम
आओगे ना..!
-कृष्णा मिश्रा
१४ फ़रवरी २०१५
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