रो रहा है इन दिनों
इससे तुम क्यू नही कह देती
के चुप हो जाये!!
तुम तो मना सकती हो..
हवाए को भी और घटाए को भी!!
मेरे देश का किसान सोया नही है..
पिछले ३-४ दिनों से...
बार बार टार्च जला
के यही देखता है..
के इस बार भी साल भर रोना ही पड़ेगा क्या??
अगर तुम मेनका हो
तो इंद्र को होश में लाओ!!
उसे सुला दो
अपनी यौवन की मदिरा पिला कर
और दिखा दो के
विश्वामित्र की तपस्या तोड़ने
वाली....... तोड़ सकती है इंद्र की मूर्च्छा भी!!
-''कृष्णा मिश्रा''
३ मार्च २०१५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें