दिल मगर बस तेरा ही तलबगार रहा...
जिंदगी तूने कभी इन्साफ न किया मुझसे
उतना भी न दिया जितने का मै हक़दार रहा...
दुश्मनी विरासत में मिलती रही यूँ के..
दोस्तों से करके वफ़ा,मै हमेशा गुनाहगार रहा...
जिंदगी इस ख़ुशी में बीती जाती है..
के तेरे गम सा न कोई गमख्वार रहा...
देख के हालत,देखने वाले आप समझ गए
तेरे सितम का जिस्म गोया इश्तहार रहा..
मुझे मालूम था के तू कभी न आएगा...
और हर पल मुझे तेरा ही इन्तजार रहा...
उतरना उसका दिल में ऐसा दमदार रहा..
हर एक शय में मुझको वही जल्वागार रहा..
गुजरे है कैसे मेरी?मै जानू या जाने खुदा..
किस कदर दिल हर पहर बेकरार रहा...
वाकिफ़ न हुआ ''जान'' जो कभी,मेरे दिल के जज्बात से
सितम हाय! के..होठों पे उसके मेरा ही अशयार रहा..
-'जान' गोरखपुरी
२४ फ़रवरी २०१५
दोस्तों से करके वफ़ा,मै हमेशा गुनाहगार रहा...
जिंदगी इस ख़ुशी में बीती जाती है..
के तेरे गम सा न कोई गमख्वार रहा...
देख के हालत,देखने वाले आप समझ गए
तेरे सितम का जिस्म गोया इश्तहार रहा..
मुझे मालूम था के तू कभी न आएगा...
और हर पल मुझे तेरा ही इन्तजार रहा...
उतरना उसका दिल में ऐसा दमदार रहा..
हर एक शय में मुझको वही जल्वागार रहा..
गुजरे है कैसे मेरी?मै जानू या जाने खुदा..
किस कदर दिल हर पहर बेकरार रहा...
वाकिफ़ न हुआ ''जान'' जो कभी,मेरे दिल के जज्बात से
सितम हाय! के..होठों पे उसके मेरा ही अशयार रहा..
-'जान' गोरखपुरी
२४ फ़रवरी २०१५
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